छत्तीसगढ़ सामान्य परिचय | Introduction of Chhattisgarh [ CHAPTER -1 ] |
‘धान का कटोरा’ कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ अंचल मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के अन्तर्गत भारत के हृदय प्रदेश ‘मध्य प्रदेश’ से पृथक् होकर 1 नवम्बर, 2000 को भारतीय संघ का 26वाँ राज्य बन गया. नवनिर्मित राज्य का मानचित्र ध्यान से देखने पर यह राज्य समुद्री घोड़े (Hippocampus or Sea horse) के समान दिखाई पड़ता है. राज्य की राजधानी रायपुर है. आरम्भ से ही छत्तीसगढ़ की अपनी अलग संस्कृति रही है. यद्यपि इस भूभाग में ऐतिहासिक काल में अनेक उथल-पुथल हुए, किन्तु आज भी इसकी भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टता जीवन्त रूप में विद्यमान है और यही इसके पृथक् राज्य बनने का आधार है. प्राचीन समय में यह प्रांत ‘दक्षिण कोसल’ के नाम से जाना जाता था. स्वतंत्रता के पश्चात् देश की विभिन्न रियासतों के साथ इस प्रांत की कुल 14 रियासतों का 1 जनवरी, 1948 को भारतीय संघ में विलय हुआ. ये रियासतें थीं- बस्तर, कांकेर, राजनांदगाँव, खैरागढ़, छुईखदान, कवर्धा, सक्ती, सारनगढ़, रायगढ़, जशपुर, उदयपुर (धरमजयगढ़), सरगुजा (अम्बिकापुर), कोरिया (बैकुण्ठपुर ) तथा चांगभखार (भरतपुर- जनकपुर) आदि. मुगल, मराठा काल में यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ इसलिए कहा जाने लगा, क्योंकि इस क्षेत्र में कल्चुरि वंश की रतनपुर शाखा के विभिन्न राजाओं व जमींदारों के 36 किले थे. छत्तीसगढ़ 1861 में मध्यप्रांत के गठन पर उसमें सम्मिलित किया गया, जिसका मुख्यालय नागपुर था एवं 1 नवम्बर, 1956 में पुनर्गठित मध्य प्रांत अर्थात् मध्य प्रदेश का पूर्वांचल बना और ठीक 44 वर्षों के पश्चात् पृथक् राज्य बना. इसके निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की चर्चा अगले अध्याय में की गई है. इस राज्य की भौगोलिक सीमाएँ 17°46′ से 24°5′ उत्तर अक्षांश तक तथा 80°15′ से 84°24′ पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है जिसकी अक्षांशीय लम्बाई 700 किमी तथा देशांतरीय लम्बाई 435 किमी है. यहाँ से होकर कर्क रेखा (23 1/2°) उत्तरी अक्षांश तथा भारतीय मानक समय (IST 82 1/2°) पूर्वी देशान्तर रेखाएँ गुजरती, जोकि सूरजपुर जिले में एक-दूसरे को काटती हैं. प्रदेश के उत्तर एवं दक्षिणतम बिन्दुओं के बीच की दूरी 360 किमी एवं पूर्व से पश्चिमतम् बिन्दुओं के बीच की दूरी लगभग 140 किमी है. इसका कुल क्षेत्रफल 1,35,192 वर्ग किलोमीटर है, जो मध्य प्रदेश राज्य का 30.48% एवं भारत का 4.10% है. छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, यही कारण है कि यह मध्य प्रदेश का पूर्वांचल कहा जाता था. प्रदेश की सीमा भारत के 7 राज्यों की सीमाओं से घिरी हुई है. उत्तर में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश का सीधी जिले, उत्तर पूर्व में झारखण्ड, मध्य एवं दक्षिण पूर्व में ओडिशा, दक्षिण में आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना, दक्षिण पश्चिम में महाराष्ट्र, मध्य-पश्चिम में मध्य प्रदेश के मंडला व बालाघाट जिले तथा पश्चिमोत्तर में मध्य प्रदेश के शहडोल व डिंडोरी जिलों द्वारा इसकी सीमाएँ निर्धारित होती हैं. यह प्रदेश अपने निकटतम समुद्र बंगाल की खाड़ी से लगभग 400 किमी दूर स्थित है जिसकी समुद्र से उसकी औसतन ऊँचाई लगभग 500 मीटर है. इस प्रकार यह प्रदेश हरियाणा व मध्य प्रदेश के समान पूर्णतः भूआवेष्ठित होने के साथ न तो इसकी सीमाएँ समुद्र को और न ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को स्पर्श करती हैं. प्रदेश दक्कन के पठार का भाग है. इसके उत्तरी हिस्सा बघेलखण्ड के पठार का दक्षिण-पूर्वी भाग एक उच्च पहाड़ी क्षेत्र है, जिसका दक्षिण-पूर्वी हिस्सा पाट है. राज्य के मध्य भाग में छत्तीसगढ़ का मैदान है, जो वस्तुतः महानदी का बेसिन है तथा राज्य का दक्षिणी हिस्सा दण्डकारण्य का पठार है. राज्य की उत्तर-पूर्वी सीमा पर छोटा नागपुर का पठार, उत्तर में बघेलखण्ड के पठारों का उत्तर शेष भाग, पश्चिम में मध्य भारत का पठार ( सतपुड़ा मैकल श्रेणी, मैकाल श्रेणी के पूर्वी हिस्से को छोड़कर, पश्चिमी हिस्सा उत्तरी राजनांदगाँव, कवर्धा एवं दक्षिण- पश्चिम बिलासपुर जिले में हैं), दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार तथा पूर्व में महानदी का मैदान अवस्थित है. हिमालय की तुलना में इस पठारी प्रदेश में उच्चावच बहुत कम हैं. साधारणतः ऊँचे-नीचे पठार, छोटी पहाड़ियाँ और नदियों के मैदान ही प्रमुख स्थलाकृतियाँ हैं. अधिकतम ऊँचाई पाट प्रदेश के सामरीपाट में गौरलाटा (1225 मी), मैनपाट (1152 मी), शेष बघेलखण्ड के पठार में देवगढ़ चोटी (1027 मी), मैकल श्रेणी में बदरगढ़ चोटी (1176 मी) और बस्तर के पठार में बैलाडिला (1200 मी) आदि हैं. छत्तीसगढ़ का मैदान अपेक्षाकृत कम ऊँचाई ( औसत 200 मी ) का क्षेत्र है. प्रदेश का उत्तरी हिस्सा गंगा अपवाह तंत्र के अन्तर्गत सोन नदी के बेसिन का भाग है; मध्य भाग महानदी के बेसिन का हिस्सा है जो प्रदेश की पूर्वी सीमा पर ओडिशा में, जहाँ यह सँकरी घाटी से गुजरती है, हीराकुड बाँध बनाया गया है. दण्डाकारण्य का अधिकांश जल इंद्रावती द्वारा गोदावरी में जाता है, जबकि मैकाल के पठार में उत्तरी कवर्धा जिले का जल बंजर नदी के द्वारा नर्मदा में ले जाया जाता है. भारत का भाग होने के कारण प्रदेश की जलवायु मानसूनी है. देश के मध्य-पूर्व में स्थित होने के कारण महाद्वीपीय प्रभाव दृष्टिगत होते हैं. यह प्रवृत्ति तापांतर और वर्षा की मात्रा दोनों में मिलती है. मई में मध्य भाग का औसत तापमान 35° के ऊपर रहता है, तो उत्तरी एवं दक्षिणी हिस्से में इससे कम, जबकि दिसम्बर माह में सम्पूर्ण प्रदेश में तापांतर अधिक होता है. इस प्रकार वर्षा का वितरण भी असमान है. प्रदेश में मुख्यतः लाल और पीली मिट्टी प्राप्त होती है, जो कड़प्पा, धारवाड़ और गोंडवाना चट्टानों से उत्पन्न हुई है. यह बलुई दोमट मिट्टी अपेक्षाकृत कम उर्वर है. लेटराइट (भाटा, अत्यधिक ऊसर) तथा काली मिट्टियाँ बीच-बीच में मिलती हैं. देश के अन्य भागों के समान कृषि यहाँ का मुख्य आर्थिक कार्य है, राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनता कृषि एवं कृषि आधारित उद्योग-धंधों पर निर्भर है. कृषि भूमि उपयोग में स्पष्ट प्रादेशिक भिन्नता मिलती है. प्रदेश को 137.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से कुल बोया गया क्षेत्र वर्ष 2017-18 के अन्तर्गत 55,40,239 हेक्टेयर है तथा शुद्ध बोया गया क्षेत्र 46,53,495 हेक्टेयर है. प्रदेश गठन के समय शासकीय स्रोतों से 13.28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र निर्मित हुआ था, जो कुल बोए गए क्षेत्र का लगभग 23 प्रतिशत थी. वर्तमान में मार्च 2018 तक यह 20.88 लाख हेक्टेयर हो गयी. इस तरह राज्य निर्माण के पश्चात् कुल 7.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता की वृद्धि हुई. वर्तमान में (मार्च 2018 तक) प्रदेश में सिंचाई का प्रतिशत लगभग 36.45% है. सम्पूर्ण प्रदेश में चावल प्रधान फसल है, जबकि चना, गेहूँ, ज्वार, अरहर, गन्ना आदि का प्रचलन सिंचाई सुविधा के साथ बढ़ रहा है. 17.54% कृषि क्षेत्र द्विफसली है. शेष राष्ट्र की तुलना में यहाँ सिंचाई की सुविधा का बहुत अधिक विकास नहीं हुआ है. 2016-17 में राज्य में शुद्ध बोया क्षेत्र 46,53,495 हजार हेक्टेयर था, जबकि वर्ष 2017-18 में शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 15,02,401 हेक्टेयर था. खनिज सम्पत्ति की दृष्टि से प्रदेश विशेष धनी है. यहाँ लगभग 27 प्रकार के खनिज गोंडवाना और धारवाड़ शैल समूहों में मिलते हैं. स्वातंत्र्योत्तर काल में यहाँ नियोजित उत्खनन आरम्भ हुआ. यहाँ औद्योगिक विकास का आधार कोयला है, जिससे उद्योगों को ऊर्जा मिलती है. अन्य प्रमुख खनिज लोहा, बॉक्साइट, टिन, हीरा, डोलोमाइट, चूना आदि उल्लेखनीय हैं. नियोजित काल में क्षेत्र में कोयला पानी की प्रचुरता के कारण ताप विद्युत् गृह स्थापित किए गए. कोरबा इसका केन्द्र हैं. वर्ष 2017-18 (नवम्बर 2017) तक राज्य में विद्युत् की कुल अधिष्ठापित क्षमता 3424.70 मेगावाट थी. यहाँ संसाधनों की तुलना में औद्योगिक विकास अत्यन्त धीमा एवं कम हुआ, किन्तु पिछले 20 वर्षों में वन और खनिज पर आधारित उद्योग प्रधानता से स्थापित हो रहे हैं, जिनमें लोहा, इस्पात एवं सीमेंट, लकड़ी उद्योग उल्लेखनीय हैं. इन वर्षों में निजी क्षेत्र प्रदेश में सक्रिय हुआ है. केन्द्रीय उपक्रमों में एन.एम.डी.सी. बैलाडिला, सेल भिलाई, एन.टी.पी.सी. एवं बाल्को कोरबा तथा कोल इंडिया बिलासपुर प्रमुख हैं. बिलासपुर के समीप प्रदेश में एन.टी.पी.सी. का दूसरा प्लांट बन रहा है. परिवहन की दृष्टि से उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र एवं दण्डकारण्य पिछड़ा है, जबकि केन्द्रीय छत्तीसगढ़ अपेक्षाकृत विकसित है, किन्तु वह सन्तोषजनक नहीं है. रेल परिवहन ब्रिटिश काल से ही स्थापित है. प्रदेश में कुल पाँच प्रशासनिक संभाग – बस्तर, रायपुर, दुर्ग, सरगुजा एवं बिलासपुर तथा कुल 27 जिले हैं. पूर्व में सात जिले थे, किन्तु मई 1998 में मध्य प्रदेश जिला, पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा पर 9 नए जिले सृजित किए गए. वर्ष 2007 में दो नए जिले बीजापुर एवं नारायणपुर का गठन किया गया. तत्पश्चात् 1 जनवरी, 2012 को नौ नए जिले सुकमा, कोण्डागाँव, बलौदा बाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर एवं बलरामपुर बनाए गए हैं. मार्च 2018 तक प्रदेश में कुल 150 तहसील, 56 उपतहसील, 146 विकास खण्ड, 346 राजस्व निरीक्षक मंडल, 168 नगर तथा कुल 20,528 ग्राम हैं. प्रदेश की पंचायती संस्थाओं में कुल 10971 ग्राम पंचायत हैं. प्रदेश से लोक सभा में 11 जिसमें 4 अनुसूचित जनजाति (कांकेर, जगदलपुर, रायगढ़, सरगुजा), 2 अनुसूचित जाति (बिलासपुर, सारनगढ़) एवं शेष 5 स्थान सामान्य वर्ग (महासमुन्द, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव एवं जांजगीर) के तथा राज्य सभा से 5 प्रतिनिधि जाते हैं. प्रदेश विधान सभा की 90 सीटों में से 34 अनुसूचित जनजाति, 10 अनुसूचित जाति एवं शेष 46 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. प्रदेश में वर्तमान में एकसदनीय विधान सभा है. 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 2,55,45,198 है, जो भारत का 2.00% है, जिसमें पुरुष जनसंख्या 1,28,32,895 तथा स्त्री जनसंख्या 1,27,12,303 है. जनसंख्या घनत्व 189 प्रतिवर्ग किमी है, लिंगानुपात 991 (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाएँ) तथा जनसंख्या वृद्धि दर 22.6% रही है. शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ प्रदेश है. यहाँ की कुल साक्षरता 70.3% है जिसमें महिला साक्षरता केवल 60.2% तथा पुरुष साक्षरता 80.3% है. सर्वाधिक साक्षरता दुर्ग जिले में (82.56%) है, जबकि सबसे कम साक्षर जिला बीजापुर (40.86%) है. साक्षरता की दृष्टि से छत्तीसगढ़ देश के राज्यों में 17वें क्रम में है. लिंगानुपात सर्वाधिक 1033 कोण्डागाँव में, जबकि रायपुर जिले में सबसे कम 963 है. स्पष्ट है अंचल काफी पिछड़ा हुआ है, किन्तु छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से देश के पिछड़े एवं उपेक्षित अंचल के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है. छत्तीसगढ़ में विकास की अपार सम्भावनाएँ हैं. यदि संसाधनों का ईमानदारी से युक्तियुक्त उपयोग एवं प्रबन्ध किया गया, तो यह राज्य देश के विकसित अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आ सकता है. नैसर्गिक साधनों एवं जनशक्ति के उचित उपयोग के द्वारा इस नए राज्य को प्रगति एवं समृद्धि की ओर अग्रसर किया जा सकता है. |
छत्तीसगढ़ सामान्य परिचय (Chhattisgarh General Introduction) – एक नजर में | |||
➤ | स्थापना | – | 1 नवम्बर 2000 |
➤ | छत्तीसगढ़ | – | देश का 26 वां राज्य |
– | देश का 27 वाँ उत्तराखण्ड ( 09 नवम्बर 2000) | ||
– | देश का 28 वाँ झारखण्ड (15 नवम्बर 2000) | ||
– | देश का 29 वाँ तेलंगाना (02 जून 2014) | ||
➤ | राज्य निर्माण समय | – | 9 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान (1997 – 2002) |
➤ | राजधानी | – | नया रायपुर |
➤ | छ.ग. राज्य हेतु अधिनियम | – | मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 |
➤ | छ.ग का मातृ राज्य | – | मध्यप्रदेश |
➤ | राज्य सभा सीटें | – | 5 |
➤ | लोक सभा सीटें | – | 11 (ST – 04, SC – 01, Unreserve – 06) |
➤ | छ.ग. में कुल सांसद | – | 16 (लोकसभा – 11 + राज्य सभा – 5) |
➤ | विधान सभा सीटें | – | 90 (ST-29, SC-10, Unreserve – 51) |
➤ | उच्च न्यायालय (High Court) | – | बिलासपुर ( देश का 19 वाँ) |
➤ | रेलवे जोन | – | दक्षिण – पूर्व – मध्य – रेलवे जोन – बिलासपुर (देश का 16वाँ क्रम के) |
➤ | राजस्व मण्डल का मुख्यालय | – | बिलासपुर |
➤ | शासकीय मुद्रणालय | – | राजनांदगांव |
➤ | ब्रेललिपि प्रेस | – | तिफरा (बिलासपुर) |
➤ | सबसे बड़ा संभाग (क्षेत्रफल) | – | बस्तर (7 जिला) |
➤ | सबसे बड़ा जिला (क्षेत्रफल) | – | राजनांदगांव (27 जिले के अनुसार) |
➤ | सबसे छोटा जिला (क्षेत्रफल) | – | दुर्ग (27 जिले के अनुसार ) |
➤ | सबसे बड़ा तहसील | – | पोड़ी उपरोड़ा (कोरबा) |
➤ | सबसे बड़ा विकासखण्ड | – | बिल्हा (बिलासपुर) (दक्षिण बिल्हा व उत्तर बिल्हा) |
➤ | सर्वाधिक तहसील वाला जिला | – | जांजगीर चांपा (10 तहसील) |
➤ | सबसे कम तहसील वाला जिला | – | नारायणपुर (2 तहसील) |
➤ | भारत संघ में धान का कटोरा | – | छत्तीसगढ़ |
➤ | छ.ग का कुल क्षेत्रफल | – | 1,35,192 वर्ग किमी. |
➤ | छ.ग का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का | – | 4.14 प्रतिशत |
➤ | छ.ग का क्षेत्रफल म.प्र. के कुल क्षेत्रफल का | – | 30.47 प्रतिशत |
➤ | छ.ग का जनसंख्या देश के जनसंख्या का | – | 2.11 प्रतिशत (16 वाँ स्थान) |
➤ | छ.ग. का नृजातीय म्यूजियम (Anthropologium) | – | जगदलपुर |
➤ | भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का | – | 2.11 प्रतिशत |
➤ | क्षेत्रफल के आधार पर भारत संघ में स्थान |
– | 10 वाँ स्थान 1. राजस्थान, 2. मध्यप्रदेश, 3. महाराष्ट्र, 4. उत्तरप्रदेश 5. जम्मू कश्मीर, 6. गुजरात, 7. कर्नाटक, 8. आंध्रप्रदेश, 9. उड़ीसा, 10 छत्तीसगढ़ |
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छ.ग. राज्य के नामकरण हेतु विभिन्न मत | |
वेगलर के अनुसार | जरासंध के काल में इस क्षेत्र में 36 परिवार पलायन कर, यहां बस गये, जहां पर 36 घर थे और इसके अपभ्रंश से छत्तीसगढ़ शब्द बना । |
हीरालाल जी के अनुसार | महाजनपद काल में छत्तीसगढ़ चेदी महाजनपद के अंतर्गत आता था और कालांतर में यही चेदिसगढ़ से अपभ्रंश होकर छत्तीसगढ़ बना । |
इतिहासकार चिस्म के अनुसार | कल्चुरी शासक कल्याणसाय ने जमाबंदी प्रथा के तहत् इस क्षेत्र में 36 गढ़ बनाये जो शिवनाथ नदी के उत्तर एवं दक्षिण में 18-18 गढ़ों में विभाजित था और इन 36 गढ़ों के आधार पर इसका नाम छत्तीसगढ़ हो गया । |
छत्तीसगढ़ी भाषा प्रयोग (नामकरण) |
1. दलपत रामराव
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2. कवि गोपाल मिश्र
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3. बाबू रेवाराम
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4. दंतेवाड़ा शिलालेख
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5. बिलासपुर जिला गजेटियर, 1910
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6. नामकरण का आधार
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छत्तीसगढ़ के प्राचीन कालीन नाम | |||
कालक्रम | मध्य छत्तीसगढ़ | दक्षिण छत्तीसगढ (बस्तर) | |
1. | रामायण काल | दक्षिण कोसल | दण्डकारण्य |
2. | महाभारत काल | कोसल या प्राक्कोसल | कान्तार, महाकान्तार |
3. | गुप्त काल | कोसल/दक्षिणापथ | महाकान्तार |
4. | मुगल काल में | रतनपुर राज्य | – |
5. | छिन्दक नागवंशी काल में | – | चक्रकोट, भ्रमरकोट |
6. | कनिंघम के अनुसार | महाकोसल | दण्डकारण्य |
7. | हवेनसांग (चीनी यात्री) | किया-स-लो | – |
8. | ब्रिटिश काल में | महाकोसल (कनिंघम) | – |
नोट – प्राचीन समय में छत्तीसगढ को दक्षिण कोसल कहा जाता था । |
रतनपुर के प्राचीन नाम | |||
कालक्रम | प्राचीन नाम | ||
1. | सतयुग में | – मणिपुर | |
2. | त्रेतायुग में | – माणिकपुर | |
3. | द्वापर युग में | – हीरापुर | |
4. | महाभारत काल में | – रत्नावलीपुर | |
5. | कल्चुरि काल में | – रतनपुर (रत्नदेव प्रथम द्वारा) |
रायपुर के प्राचीन नाम | |||
कालक्रम | प्राचीन नाम | ||
1. | सतयुग में | – कनकपुर | |
2. | त्रेतायुग में | – हाटकपुर | |
3. | द्वापर युग में | – कंचनपुर | |
4. | कल्चुरि काल में | – रतनपुर (रत्नदेव प्रथम द्वारा) |
महानदी के प्राचीन नाम | |||
कालक्रम | प्राचीन नाम | ||
1. | सतयुग में | – नीलोत्पला (वायु पुराण में भी नीलोत्पला का उल्लेख) | |
2. | त्रेतायुग में | – चित्रोत्पला (ब्रह्म एवं मत्स्य पुराण में भी चित्रोत्पला का उल्लेख) | |
3. | महाभारत काल में | – महानंदा | |
4. | अन्य प्राचीन नाम | – कनकनंदिनी, ऋषितुल्या, महाश्वेता |
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